बूढ़ी मां को भीख मांगते देखा है | newsforum
©प्रीति बौद्ध, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश
महिला दिवस पर विशेष
भोग लगाते पत्थर के आगे मैंने लोगों को देखा है,
उसी भीड़ में बूढ़ी मां को भीख मांगते देखा है।
पत्थर आगे भोग लगाने वालों सुन लो,
जिंदा मां भोजन मांगे उसकी भी सुन लो।
गिर पुरापाषाण काल के आगे से भी बेजुबान हैं,
दो भोजन, कालजई आशीष माँ की जुबान है।
मैंने लोगों को पत्थर आगे मत्था टेकते देखा है,
उसी भीड़ में बूढ़ी मां को लातें खाते देखा है।