बाल दिवस | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©राजेश श्रीवास्तव राज
परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.
बाल दिवस की घड़ी है आई कैसे उसे मनाएं हम।
नन्हे बच्चों को फुलवारी सा कैसे उसे सजाएं हम।।
हैं अबोध अनगढ़ सब बालक कैसे उन्हें रिझाएं हम।
खेल खिला कर उनको दुलारा कर कैसे बहलाएं हम।।
जाति न मजहब भेदभाव हो बाल दिवस मनवाएं हम।
रंग बिरंगी बगिया से महकें ऐसा उन्हें सदा सजाएं हम।।
सब बालक अनमोल रत्न सम मोती सा चमकाएं हम।।
बाल दिवस की आई है बेला उत्सव को मनवाएं हम।।
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