देवों के देव महादेव | ऑनलाइन बुलेटिन
©अशोक कुमार यादव
परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़
जयकारा लगाओ भोलेनाथ की
तुमको मुक्ति मिलेगी महापाप की
अपने मन को कर लो पवित्र सभी
दिवस मंगल ही मंगल हो आपकी
अग्निलिंग से सृष्टि रचा महादेव,
धरा, नभ, रसातल निर्मित स्वमेव
श्वेत हिमशिखर में विराजे शिवा
पार्वती से परिणय किए आदिदेव
समुद्र मंथन से निकला हलाहल
कंठ में धारण किए स्याह जल
स्वर्ग से देव किए फूलों की वर्षा
रात्रि जागरण गीत संगीत सजल
कामना कर जन करते जलाभिषेक
अति आतुर भक्त करते दुग्धाभिषेक
बेल, सिंदूर, फल, धूप, धन, दीप, पान
शुद्धि, पुण्य, दीर्घायु, ज्ञान शहदाभिषेक
अति उदार कैलाशपति देता वरदान
नीलकंठ देवों के देव हैं बड़ा महान्
सूर, असुर, नर और मुनि यश गाए
त्रिदेवों में एक देव शिव धर्म सनातन
गंगाधर है जन चेतना के अंतर्यामी
तंत्र-मंत्र साधना के हो भैरव स्वामी
अशोक सुंदरी, ज्योति, मनसा के पिता
कार्तिकेय, अय्यप्पा, गणेश अनुगामी
काल, महाकाल, सौम्य, रौद्र स्वरूप
अनादि, कल्याणकारी, योगी अनूप
लय और प्रलय को किए हो वश में
भस्मासुर को भस्म कर भेजे कूप
रावण, शनिदेव, कश्यप ऋषि के गुरु
दु:खहर्ता, अति कृपालु, शिव कल्पतरु
कैलाश मानसरोवर गिरिराज निकेतन
नटराज नृत्य और समाधि किए शुरू
जटा से निकली देवनदी माता गंगा
गले में नागों के देवता वासुकी संगा
मृग छाल, त्रिशूल, डमरु धारण किए
नंदी, बेताल, पिशाच, भूतनाथ अचंभा
प्रगट हो भोले सहृदय के अधिपति
अनुकंपा कर आशीर्वाद दो उमापति
जीत हासिल करूं लक्ष्य को भेद कर
सुख, समृद्धि, शांति, भक्ति निर्गुण संगति ….