सिर्फ तुम्हारे लिए | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©संतोषी देवी
चाहती हूं तेरे अथाह,
उदधि विस्तार में समाना,
एक लहर सी बनूं,
उठूँ और फिर सिमट जाऊं,
सिर्फ तुम्हारे लिए ।
छोड़ दूं निर्झरिणी अस्तित्व,
सार्थकता पाने को।
मैं, मैं नहीं, तुम हो कर,
अस्तित्व में घुल जाऊं,
सिर्फ तुम्हारे लिए।
मीलों सफर तय करूं,
सानिध्य में तेरे,
बार-बार विलीन होकर,
लहर नई बनकर आऊँ,
सिर्फ तुम्हारे लिए ।
सांसो के जोड़कर तार,
सफर में साथ चल सकूं,
सुंदर से भी सुंदर ,
उत्साह भर गीत सुहाने,
सुर साज सजा कर गाऊँ,
सिर्फ तुम्हारे लिए।
मांगू न तुमसे कभी,
भूल से भी प्रतिदान कोई,
बस बहते जाना है संग,
अंत मिट जाना मैं चाहूं,
सिर्फ तुम्हारे लिए।
आज ही के दिन सजल जी सर और मैं परिणय सूत्र में बंधे । 23 वर्ष तक का यह सफर दुख और सुख के समन्वय के साथ प्रेम और मीठी नोंक-झोंक के साथ गुजरा। पारिवारिक मित्रों और अपनों का आशीर्वाद व सस्नेह बस हमेशा बना रहे।
Happy marriage anniversary sajal ji
ये भी पढ़ें :
एक क्षण खोने जैसा नहीं, एक पल गंवाने जैसा नहीं.. | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन